Thursday, December 14, 2023

Nautanki

नौटंकी को लेकर एक पक्ष ये भी सूझता है

मन सब को फिर जांचने को कहता है

कहा–सुना तो ये भी जाता है

छापा पहलवान लोग बरियार होते थे

अब भी हैं

जिसके हाथ में छापान

होता है है वो जी बलवान 

दूसरों के लिखे को भी दांव लगा 

अपनी मुहर लगा देने का हुनर अब भी है

बरजोर!


हुनर किसी का

जोर किसी का

छापा मेरा, मेरा असली 

बाकी सब नक़ली


आजकल के कई सीरियलों की तरह 

जहां लिखता कोई

बिकता कोई है

नाम किसी का होता है

भूत दिखता नहीं लिखता–लिखता–लिखता है


मान–सम्मान भी नियोजित हो जाते हैं

हम जानते हैं

रीत कामोबेस अब भी है

गाहे बेगाहे सामने प्रसंग आते रहते हैं 

श्रद्धा और श्रुति से इतर अब ज़रूरी है 

इनके मूल को गंभीरता से आंका जाए


अकथ कथाएं हैं जिसे सामने आने से 

सत्य उद्भासित होगा 

यूं ही तो कारवां उजड़ा नहीं होगा

.....