Friday, January 19, 2024

महाभोज

महाभोज

लेखक : मन्नू भंडारी I निर्देशक : सुमन कुमार

प्रस्तुति : रंगायन, आत्माराम सनातन धर्मं कॉलेज, दिल्ली

6.30 PM 30/01/2024 श्रीराम सेंटर, मंडी हाउस, दिल्ली

 


एक विदेशी पत्रकार सरोहा गाँव की तस्वीर खींचता है

उनींदा गाँव जीवित होता है

एक लोरी के साथ

ढिबरी, लालटेन की रौशनी में !

 

बाबा तुमरे आवेंगे, मूस पकड़ के लायेंगे

बाबा तुमरे आवेंगे, मूस पकड़ के लायेंगे

दादी तुमरी आवेगी, कूट मशाला लाएगी

अम्मा तुमरी आवेगी, भून कलेजा लाएगी

बबुआ हमरे जाएंगे, सबको चट कर जायेंगे

 

पंचायत के बाद कल के मुसरी हांका को तैयार पुरुष वापस आते है

अपने परिजन के पास

 

बस्ती के भेड़िये घेर लेते हैं

भागती हुई साँसें बस्ती को बन्दूक से घेर ठहरती हैं

एक गोली चलती है

सन्नाटा ! मर्द सारे खड़े हो जाते हैं

गाँव के सारे मर्दों को घर से बाहर निकाल एक पंक्ति में खड़ा कर दिया जाता है

इशारे से उन्हें घुटने पर बिठा दिया जाता है

फोटो खिंच जाता है

गोली एक हवा चलती है

बाकी उनकी खोपड़ी के पार होती है

सब ज़मीन पर पट्टे लेट जाते हैं

फोटो खींच जाता है ! खचांक!

किरोसिन-पेट्रोल का एक घेरा झोपड़ियों के दीवार पर बनता है

एक गोली झोपड़ी पर

बाकी हवा में

आग में जलकर राख होती है झोपड़ी और औरतें

भेड़िये सफलता का बिगुल बजाते हैं

 

गाँव एक दु:स्वप्न से जागता है

सूरज की पहली किरण के साथ मूस को भेदने वाला यंत्र उठा कर निकल पड़ते हैं

टीन का कनस्तर बजने लगता है

पानी जाने लगता हैं बिलों के अन्दर

चूहे भागते हैं लोग उन्हें मारते हैं

मरते हैं

अंत में एक चूहा मात्र घेर में बचता है

सब उसे घेर मारते हैं !

 

अन्धकार !

 

crow band का गीत उभरता है

 

काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव

काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव

काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव

 

सुन लो मेरे कौवा भाई खबर है ख़ास

वहां पड़ी है एक लावारिश लाश

 

काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव

काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव

 

सब मिल वहां पे जायेंगे मांस नोच के खायेंगे

 

काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव

काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव काँव

 

एक सूफी आ जाता है लेकर तान वो गाता है

कागा कागा कागा

कागा सब तन खाइयो चुन चुन खाइयो मांस

दुई अँखियाँ मन खाइयों जा में पिया मिलन की आस

 

लेकर तान वो जाता है

कागा कागा कागा !

 

कौंवो का बैंड भी गाता है

 

कागा ने सब तन खायो

चुन-चुन खायो मांस

ना कायो दुई अँखियाँ

जा थी पिया मिलन की आस

 

काँव काँव काँव, काँव काँव काँव, काँव काँव काँव

काँव काँव काँव, काँव काँव काँव, काँव काँव काँव

 

जोगेसर साहू निकल पड़ा है गुनगुनाते खेतों के बीच से 

 


 

नाच पार्टी का गीत

आओ मेरे बलमा आओ जी आओ

महुआ पके है टपक ही ना जाए

महुआ जो टपके हम चुन लाये

चुन के लाये उसको चुआये

आओ मोरे बलमा आओ जी आओ

महुआ को हम संग-संग में पियेंगे

पीयेंगे और मस्ती करेंगे

आओ मोरे बलमा आओ जी आओ