बारहमासा
कथासार
लेखक : महेन्द्र मलंगिया
निर्देशक : सुमन कुमार
प्रस्तुति : मलंगिया फाउंडेशन
09 दिसंबर 2018
मेघदूत I, संगीत नाटक अकादेमी
नई दिल्ली
Suman Kumar: कथासार
मुनमा का परिवार, गांव के हासिये पर जीता हुआ आर्थिक, समाजिक और राजनीतिक विपन्नता के ऐसे स्थिति-चित्र उपस्थित करते हैं जिसमें विस्थापन मात्र ही बेहतर जीवन के लिए एक उपाय दिखता है। ग्रामीण क्षेत्रों में दुःस्वप्ननुमा जीवन में सूदखोरों और वासनासिक्त चरित्रों से बचती हुई, हँसिया पकड़े मुहँसीलि हुए एक औरत, अतीत के गौरव से वंचित एक बूढ़ा, वर्ण-रौब के दम्भ से पिटता बच्चा मंगला, पलायन कर ठगा महसूस करता मुनमा .... सब एक अभिवंचित परिवार का प्रसंग प्रस्तुत करते हैं जिसके लिए बारहमासा जीवन और प्रकृति के आनंद का विविध अवसर नहीं बनता, न ही वह विरहिणी नायिका का दशा वर्णन करता ही, बल्कि उसके उत्पीड़न का बारह करुण चित्र प्रस्तुत करता है। मृत्यु ही मुक्ति का एक उपाय दिखता है। कफ़न भी मिलना मुश्किल है। प्राकृतिक आपदाएं, भूख, अभाव और बीमारी अब भी चुनोतियाँ हैं ।
Suman Kumar: अभिवंचित समुदाय के व्यथाचित्रों को रुचिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करना चुनोतियाँ वाला जोखिम भरा कार्य है। नाटकीय गठन के सामान्य ढांचे से अलग इस नाटक का वातावरण और आंतरिक व्याख्या का समकालीन संदर्भ तलासते हुए अनगढ़ता के साथ मूल आलेख में थोड़े परिवर्तन के साथ नाटक को मंचित करने की कोशिश की गई है।
Suman Kumar: सुमन कुमार
8 दिसम्बर 1967 में बांका, बिहार में जन्म.
1996 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से और 1998 में माउंटव्यू थिएटर स्कूल, लन्दन से डिजाईन में प्रशिक्षित सुमन ने पटना विश्वविद्यालय से बी. एड.(91-92) और मगध विश्वविद्यालय से भौतिकी में होनर्स(1988) की पढाई की है. 1984 से इप्टा, पटना से जुड़ कर रंगकर्म में सक्रीय हुए.
सुमन ने नाटक लिखे, निर्देशित और अभिकल्पित किया तथा विविध विषयों पर संगीतिकों, नाटकीय अभिव्यक्तियों की रचना की. कविताओं और अनाटकीय कथ्य और साहित्य को मंच पर प्रस्तुति करने के लिए विशेष रूप से चर्चित रहे. रुपांतरण, अनुवाद और नाट्य लेखन से 30 से भी अधिक मंचित प्रस्तुतियों के हजारों मंचन विविध भाषाओँ और शैलियों में हुआ. सुमन ने शेक्सपियर, जे.एम. सिंज, चेखव, ब्रेख्त, ओ नील, भीष्म सहनी, प्रेमचंद, हरिशंकर पारसाई, नेरुदा, मुक्तिबोध, शिम्बोर्शाका, धूमिल, राजकमल चौधरी, काशीनाथ सिंह, फ़ैज़, रांगेय राघव, निर्मल वर्मा, उमाकांत चौधरी आदि की रचनाओं से प्रेरित नाट्य अनुभव को दर्शकों के साथ सांझा किया.
रंगमंच के भारतीय एवं विदेशी विविध विचार, अभ्यास, सन्दर्भ, जीवन और दर्शन तथा प्रयोग सूत्रों और प्रशिक्षण पद्धतियों पर सुमन ने कई आलेख भी लिखें हैं. बाल, युवा और शोकिया कलाकारों के साथ कई भाषाओं, बोलियों में प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन और सञ्चालन करने वाले सुमन ने विशेष रूप से चुनोतियों का सामना करने वाले बच्चों के लिए भी रंगमंच को उनके रचनात्मक सम्प्रेषण का उपादान बनाया.
रंगमंच के मौलिक आस्वादन का नया अनुभव सृजन के लिए सतत प्रयोगशील सुमन कुमार ने एक अभिनेता, निर्देशक, परिकल्पक, प्रशिक्षक और नाटककार के रूप में योगदान देते हुए, 2012 से संगीत नाटक अकादेमी, दिल्ली के एक अधिकारी के रूप में रंगमंच, लोक कला एवं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सेवा में कार्यरत हैं. सुमन ने डेनमार्क, लन्दन, पेरू और क्यूबा में रंगमंच और प्रदर्शन के सन्दर्भ में अभिनेता, नाटककार और व्यस्थापक के रूप में यात्रा की.
रंगमंच में योगदान के लिए सुमन को पटना में आंसु संवाद लेखन पुरस्कार तथा कलाश्री सम्मान, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एवं संगीत नाटक अकादेमी, दिल्ली की छात्रवृत्ति एवं अध्धयनवृत्ति, चार्ल्स वैल्स इंडिया ट्रस्ट स्कालरशिप, भारत सरकार की कनिष्ट संस्कृति फ़ेलोशिप के साथ 2012 में नाट्य लेखन के लिए महिंद्रा एक्सेलेंसी अवार्ड दिया गया. सुमन को नाट्य लेखन के लिए रास कला सम्मान, नटसम्राट सम्मान भी मिला है। 2017 में आल इंडिया फोक आर्टिस्ट फेडरेशन द्वारा "लोक कलाविद सम्मान", हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार के द्वारा 2017-2018 का "नाटक सम्मान".
समझोता, अंधरे में, मुक्ति-प्रसंग, एक तारा टूटा, गगन घटा गहरानी, सूरा सों पहचानिए, सूरज का संतवा घोड़ा, दिल्ली की दीवार, ऑथेलो, मैकबेथ, द राइज एंड फल ऑफ़ थे सिटी ऑफ़ महागोनी, द प्लेबॉय ऑफ़ द वेस्टर्न वर्ल्ड, एक्सेप्शन एंड थे रूल, अग्नि और बरखा, चेखोव की दुनिया, ट्रेन तो पाकिस्तान, महामहिम, दस दिन का अनशन, स्वर्गलोक में डेमोक्रेसी, ब्लैकबोर्ड ब्रिगेड, बालचरित, अस्सी-बहरी अलंग, सत्याग्रह, बूढी काकी, कसप, नुगरा का तमासा, परिंदे, गदल, महादेव, नटवर ने बांसुरी बजाई, खारु का खरा किस्सा, कंकाल आदि कई मंच आलेख लिखे जिनका मंचन देश में कई भाषाओं में विविध रूपों में मंचित किया गया. सुमन द्वारा अभिनीत ‘नुगरा का तमासा’ (2015) बेहद सराहनीय प्रचलित एकल अभिनय है जिसे वे बिना आलेख, किस्सागोई के अपने विशिष्ट अंदाज़ में जीवंत अभिनीत करते हैं.
मुनमाक परिवार, गामक सब स निचला तबका (वर्ग) मे जीवैत आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विपन्नताक ऐहेन स्थिति-चित्र मे उपस्थित अछि जाहि मे विस्थापने टा मात्र बेहतर जीवन जीव के लेल बचल छैक। ग्रामीण क्षेत्र मे दुःस्वप्ननुमा जीवन मे सूदखोर और वासनासिक्त चरित्र स बचैत, हाँसु पकड़ने मुँहसीबल एक टा स्त्री, अतीतक गौरव स वंचित एक टा बूढ़, वर्ण-रौब के दंभ स पिटैत बच्चा मंगला, पलायन कैयो क ठगल अनुभव करैक मुनमा.... सभ एक अभिवंचित परिवारक प्रसंग प्रस्तुत करैत अछि। जकरा लेल बारहमासा जीवन आऊर प्रकृति के आनंदक विविध अवसर नहि बनैत, नहिए ओ विरहिणी नायिकाक दशाक वर्णन करैत अछि, बल्कि ओकर उत्पीड़न के बारह करुण चित्र प्रस्तुत करैत अछि। मृत्युए टा मुक्ति के एक टा उपाय देखायत अछि। कफ़नो टा भेटनाई मुश्किल छैक। प्राकृतिक आपदा सभ, भूख, अभाव आऊर बीमारी अखनो हमारा समाजक लेल चुनौती अछि ।
पात्र परिचय
मंच पर
पहिल - अजीत झा
दोसर - प्रज्ञा झा
तेसर - मकेश झा
चारिम - नीलेश दीपक
पाँचम - विजय मिश्र
छठा - मायानन्द झा
सातव - प्रशान्त कुमार मंडल
आठम - नवीन कुमार
नवम - प्रणय कुमार
दशम - सुनिता झा
ऐगारहम - कविता झा
नृत्य - प्रतिभा सिंह, अवधेश झा, कृति कुमारी
मंच परे
स्टेज मैनेजर व मंच सामग्री - तरूण झा
वेशभूषा - अजीत झा
मेकअप - मुकुल बक्शी
प्रकाश परिकल्पना - श्याम कुमार साहनी
मंच परिकल्पना - भुनेश्वर भास्कर
गायन और वादन - श्वेता पाठक, आदित्य राज शुभम, उमाशंकर, गगन,
योगेश कुमार
लेखक - महेन्द्र मलंगिया
अनुवाद - अजय बह्रमात्य्ज
नृत्य परिकल्पना - प्रतिभा सिंह
परिकल्पना और निर्देशन - सुमन कुमार
संगीत परिकल्पना - राकेश पाठक
सहायक निर्देशन - नीलेश दीपक
निर्देशकीय
अभिवंचित समुदायक व्यथाचित्र सभ के रुचिपूर्ण ढंग स प्रस्तुत करनाई चुनौतीपूर्ण वाला जोखिम स भरल कार्य थीक। नाटकीय गठनक सामान्य ढांचा स अलग एहि नाटकक वातावरण आर आंतरिक व्याख्याक समकालीन संदर्भ स जोड़ैत अनगढ़ता के संग मूल आलेख मे कनि परिवर्तनक संग नाटक के मंचित कर के प्रयास कायल गेल अछि।
सुमन कुमार
निर्देशक
8 दिसम्बर 1967 मे बांका, बिहार में जन्म, 1996 मे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली स आऊर 1998 मे माउंटव्यू थिएटर स्कूल, लन्दन स डिजाईन मे प्रशिक्षित सुमन कुमार पटना विश्वविद्यालय स बी. एड.(91-92) आऊर मगध विश्वविद्यालय स भौतिकी मे होनर्स (1988) मे पढाई केने छथि। 1984 स इप्टा, पटना स जुड़ि क रंगकर्म मे सक्रीय भेल छलाह।
सुमन कुमार जी नाटक के लेखन, निर्देशन आर अभिकल्पन करैत छथिन तथा विविध विषय पर संगीतिक, नाटकीय अभिव्यक्तिय संग रचना करैत छथि। कविता आर अनाटकीय कथ्य आऊर साहित्य के मंच पर प्रस्तुति करैक लेल विशेष रूप स चर्चित छथि। रुपांतरण, अनुवाद आर नाट्य लेखन स 30 सँ बेसी मंचित प्रस्तुतीक हजार स बेसी मंचन विविध भाषा आर शैली मे भेल। सुमन जी शेक्सपियर, जे.एम. सिंज, चेखव, ब्रेख्त, ओ नील, भीष्म साहनी, प्रेमचंद, हरिशंकर पारसाई, नेरुदा, मुक्तिबोध, शिम्बोर्शाका, धूमिल, राजकमल चौधरी, काशीनाथ सिंह, फ़ैज़, रांगेय राघव, निर्मल वर्मा, उमाकांत चौधरी आदिक रचनाओं सभ स प्रेरित नाट्य अनुभव दर्शक के संग सांझा केने छथि।
रंगमंच मे योगदानक लेल हिनका पटना मे आसु संवाद लेखन पुरस्कार तथा कलाश्री सम्मान, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एवं संगीत नाटक अकादेमी, दिल्लीक छात्रवृत्ति एवं अध्धयनवृत्ति, चार्ल्स वैल्स इंडिया ट्रस्ट स्कालरशिप, भारत सरकारक कनिष्ट संस्कृति फ़ेलोशिपक संग 2012 मे नाट्य लेखन के लेल महिंद्रा एक्सेलेंसी अवार्ड देल गेल अछि। नाट्य लेखन के लेल रास कला सम्मान, नटसम्राट सम्मान सेहो भेटल छाईन। 2017 मे ऑल इंडिया फोक आर्टिस्ट फेडरेशन द्वारा "लोक कलाविद सम्मान", हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा 2017-2018 के "नाटक सम्मान" विशेष महत्वपूर्ण छैक।
समझौता, अंधरे में, मुक्ति-प्रसंग, एक तारा टूटा, गगन घटा गहरानी, सूरा सों पहचानिए, सूरज का संतवा घोड़ा, दिल्ली की दीवार, ऑथेलो, मैकबेथ, द राइज एंड फल ऑफ़ थे सिटी ऑफ़ महागोनी, द प्लेबॉय ऑफ़ द वेस्टर्न वर्ल्ड, एक्सेप्शन एंड थे रूल, अग्नि और बरखा, चेखोव की दुनिया, ट्रेन टू पाकिस्तान, महामहिम, दस दिन का अनशन, स्वर्गलोक में डेमोक्रेसी, ब्लैकबोर्ड ब्रिगेड, बालचरित, अस्सी-बहरी अलंग, सत्याग्रह, बूढी काकी, कसप, नुगरा का तमासा, परिंदे, गदल, महादेव, नटवर ने बांसुरी बजाई, खारु का खरा किस्सा, मलाह टोली, कंकाल आदि कतेको मंच आलेख लिखने छथि जकर मंचन देश मे कतेको भाषा मे विविध रूप मे मंचित भेल अछि। सुमन कुमार द्वारा अभिनीत ‘नुगरा का तमासा’ (2015) बहुत सराहनीय प्रचलित एकल अभिनय अछि जकरा ओ बिना आलेख, किस्सागोईक अपन विशिष्ट अंदाज़ मे जीवंत अभिनय करैत छाथि।
राकेश पाठक
संगीत
राकेश पाठक हिन्दुस्तानी संगीत परम्परा के विश्वविख्यात दरभंगा घरानाक विशिष्ट संगीतज्ञ छथि। आहाँक पहिचान देश विदेश मे पसरल अछि। सुविख्यात संगीतकार पंडित गंगाधर पाठक अपनेक गुरू आ पिता छथिन।हB
वर्तमान मे अपने कथक केन्द्र, नई दिल्ली मे प्रशिक्षक छी। कथक लीजेंड पंडित बिरजु महाराज के कलाश्रम आ प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद स आहाँ लम्बा समय स जुड़ल छी।
PRATIBHA SINGH : Choreographer
Nritya Praveen from Prayag Sangeet Samiti, Allahabad
and PG in Kathak from Kathak Kendra, New Delhi,
exponent Pratibha Singh started her journey at an
early age under guru Shri Narendra Mohini and Shri
Balramlal at Patna. Later in Kathak Kendra she learned
Pt. Birju Maharaj and Shri Jaikishan Maharaj and many
other eminent dancers of different styles. She
performed widly across the country. She is recipient of
the award Junior Fellowship of Ministry of Culture
(2015-2017). She has been awarded scholarships from
Sahitya Kala Parishad (Delhi), Poddar Tiles Saskritik Koshang (Patna). In the departmental competitions of
Postal Services, and youth festivals of Universities she
won the best positions in her Kathak Dance category.
Vishnu Prabhkar Kala Samman -2018.
She has performed solos and compositions in Sahitya Utsav (Chandigarh, 2017),
National Natya Utsav, Tripura, 2016; Kinnar Mahotsav (Patna, May 2016), Va-chan
Vaachan Utsav(2015), Delhi; Patliputra Mahotsava (2000), Kathak Keendra Convocation Festival (1999), Buddha Mahotsava (1999), International Trade Fair(1998-99),
Ra-jgir Mahotsav (1990-93), Nritya Pratibha of SNA, New Delhi (2002, Ranchi). She
has per-formed in the choreographic compositions of Pt. Birju Maharaj, Smt. Uma
Sharma, Shri Harish Gangani, Rajendra Gangani, Smt Nandani Singh, Shri Amir Raza
Hussain.
With many dance choreographic compositions she has choreographed many
dramatic movements for stage. She has directed a dance presentation with the artists
from the transgender community of Delhi and is been granted a cultural mapping
project under a scheme of Ministry of Culture to collect the Vocals of transgender
Community of Delhi. She runs a Kathak training centre in Delhi and is Artistic Director,
Secretary of Kala Mandali, Delhi which is engaged in producing experimental works in
the field of Music, Dance and Drama. She is conducting workshop on performing arts;
Dance-Theatre with children, youth and families. Conducting workshops for Delhi
Police Families.
Kharu Ka Khara Kissa ( A dramatic work showcased in Bharatmuni Drama Festival of Sahitya
Kala Parishad, Delhi 2015), Khushiyan Aur Afsaane (A devised Performance with third
genders of Delhi), Vidyapati Vasant (Choreography in Kathak, Based on the spring poems of
Maithali Poet Vidyapati: 2016) Benaras Ki Subah Se Awadh Ki Sham Tak (A dance
confluence of Awadh and Varanasi originated diverse cultural expressions : 2017),
Ritusangharam (Based on the poem of Kalidas explored in traditional Kathik and Kathak
performance: 2017)Ram Ki Shakti Pooja (Based on Nirala’s poem explored with classical Indian Dances, Puppetry, Traditional drama, Folk crafts, riruals , believes etc.
बारहमासा
कथासार
मुनमाक परिवार, गामक सब स निचला तबका (वर्ग) मे जीवैत आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विपन्नताक ऐहेन स्थिति-चित्र मे उपस्थित अछि जाहि मे विस्थापने टा मात्र बेहतर जीवन जीव के लेल बचल छैक। ग्रामीण क्षेत्र मे दुःस्वप्ननुमा जीवन मे सूदखोर और वासनासिक्त चरित्र स बचैत, हाँसु पकड़ने मुँहसीबल एक टा स्त्री, अतीतक गौरव स वंचित एक टा बूढ़, वर्ण-रौब के दंभ स पिटैत बच्चा मंगला, पलायन कैयो क ठगल अनुभव करैक मुनमा.... सभ एक अभिवंचित परिवारक प्रसंग प्रस्तुत करैत अछि। जकरा लेल बारहमासा जीवन आऊर प्रकृति के आनंदक विविध अवसर नहि बनैत, नहिए ओ विरहिणी नायिकाक दशाक वर्णन करैत अछि, बल्कि ओकर उत्पीड़न के बारह करुण चित्र प्रस्तुत करैत अछि। मृत्युए टा मुक्ति के एक टा उपाय देखायत अछि। कफ़नो टा भेटनाई मुश्किल छैक। प्राकृतिक आपदा सभ, भूख, अभाव आऊर बीमारी अखनो हमारा समाजक लेल चुनौती अछि ।
पात्र परिचय
मंच पर
पहिल - अजीत झा
दोसर - प्रज्ञा झा
तेसर - मकेश झा
चारिम - नीलेश दीपक
पाँचम - विजय मिश्र
छठा - मायानन्द झा
सातव - प्रशान्त कुमार मंडल
आठम - नवीन कुमार
नवम - प्रणय कुमार
दशम - सुनिता झा
ऐगारहम - कविता झा
नृत्य - प्रतिभा सिंह, अवधेश झा, कृति कुमारी
मंच परे
स्टेज मैनेजर व मंच सामग्री - तरूण झा
वेशभूषा - अजीत झा
मेकअप - मुकुल बक्शी
प्रकाश परिकल्पना - श्याम कुमार साहनी
मंच परिकल्पना - भुनेश्वर भास्कर
गायन और वादन - श्वेता पाठक, आदित्य राज शुभम, उमाशंकर, गगन,
योगेश कुमार
लेखक - महेन्द्र मलंगिया
अनुवाद - अजय बह्रमात्य्ज
नृत्य परिकल्पना - प्रतिभा सिंह
परिकल्पना और निर्देशन - सुमन कुमार
संगीत परिकल्पना - राकेश पाठक
सहायक निर्देशन - नीलेश दीपक
निर्देशकीय
अभिवंचित समुदायक व्यथाचित्र सभ के रुचिपूर्ण ढंग स प्रस्तुत करनाई चुनौतीपूर्ण वाला जोखिम स भरल कार्य थीक। नाटकीय गठनक सामान्य ढांचा स अलग एहि नाटकक वातावरण आर आंतरिक व्याख्याक समकालीन संदर्भ स जोड़ैत अनगढ़ता के संग मूल आलेख मे कनि परिवर्तनक संग नाटक के मंचित कर के प्रयास कायल गेल अछि।
सुमन कुमार
निर्देशक
8 दिसम्बर 1967 मे बांका, बिहार में जन्म, 1996 मे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली स आऊर 1998 मे माउंटव्यू थिएटर स्कूल, लन्दन स डिजाईन मे प्रशिक्षित सुमन कुमार पटना विश्वविद्यालय स बी. एड.(91-92) आऊर मगध विश्वविद्यालय स भौतिकी मे होनर्स (1988) मे पढाई केने छथि। 1984 स इप्टा, पटना स जुड़ि क रंगकर्म मे सक्रीय भेल छलाह।
सुमन कुमार जी नाटक के लेखन, निर्देशन आर अभिकल्पन करैत छथिन तथा विविध विषय पर संगीतिक, नाटकीय अभिव्यक्तिय संग रचना करैत छथि। कविता आर अनाटकीय कथ्य आऊर साहित्य के मंच पर प्रस्तुति करैक लेल विशेष रूप स चर्चित छथि। रुपांतरण, अनुवाद आर नाट्य लेखन स 30 सँ बेसी मंचित प्रस्तुतीक हजार स बेसी मंचन विविध भाषा आर शैली मे भेल। सुमन जी शेक्सपियर, जे.एम. सिंज, चेखव, ब्रेख्त, ओ नील, भीष्म साहनी, प्रेमचंद, हरिशंकर पारसाई, नेरुदा, मुक्तिबोध, शिम्बोर्शाका, धूमिल, राजकमल चौधरी, काशीनाथ सिंह, फ़ैज़, रांगेय राघव, निर्मल वर्मा, उमाकांत चौधरी आदिक रचनाओं सभ स प्रेरित नाट्य अनुभव दर्शक के संग सांझा केने छथि।
रंगमंच मे योगदानक लेल हिनका पटना मे आसु संवाद लेखन पुरस्कार तथा कलाश्री सम्मान, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एवं संगीत नाटक अकादेमी, दिल्लीक छात्रवृत्ति एवं अध्धयनवृत्ति, चार्ल्स वैल्स इंडिया ट्रस्ट स्कालरशिप, भारत सरकारक कनिष्ट संस्कृति फ़ेलोशिपक संग 2012 मे नाट्य लेखन के लेल महिंद्रा एक्सेलेंसी अवार्ड देल गेल अछि। नाट्य लेखन के लेल रास कला सम्मान, नटसम्राट सम्मान सेहो भेटल छाईन। 2017 मे ऑल इंडिया फोक आर्टिस्ट फेडरेशन द्वारा "लोक कलाविद सम्मान", हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा 2017-2018 के "नाटक सम्मान" विशेष महत्वपूर्ण छैक।
समझौता, अंधरे में, मुक्ति-प्रसंग, एक तारा टूटा, गगन घटा गहरानी, सूरा सों पहचानिए, सूरज का संतवा घोड़ा, दिल्ली की दीवार, ऑथेलो, मैकबेथ, द राइज एंड फल ऑफ़ थे सिटी ऑफ़ महागोनी, द प्लेबॉय ऑफ़ द वेस्टर्न वर्ल्ड, एक्सेप्शन एंड थे रूल, अग्नि और बरखा, चेखोव की दुनिया, ट्रेन टू पाकिस्तान, महामहिम, दस दिन का अनशन, स्वर्गलोक में डेमोक्रेसी, ब्लैकबोर्ड ब्रिगेड, बालचरित, अस्सी-बहरी अलंग, सत्याग्रह, बूढी काकी, कसप, नुगरा का तमासा, परिंदे, गदल, महादेव, नटवर ने बांसुरी बजाई, खारु का खरा किस्सा, मलाह टोली, कंकाल आदि कतेको मंच आलेख लिखने छथि जकर मंचन देश मे कतेको भाषा मे विविध रूप मे मंचित भेल अछि। सुमन कुमार द्वारा अभिनीत ‘नुगरा का तमासा’ (2015) बहुत सराहनीय प्रचलित एकल अभिनय अछि जकरा ओ बिना आलेख, किस्सागोईक अपन विशिष्ट अंदाज़ मे जीवंत अभिनय करैत छाथि।
राकेश पाठक
संगीत
राकेश पाठक हिन्दुस्तानी संगीत परम्परा के विश्वविख्यात दरभंगा घरानाक विशिष्ट संगीतज्ञ छथि। आहाँक पहिचान देश विदेश मे पसरल अछि। सुविख्यात संगीतकार पंडित गंगाधर पाठक अपनेक गुरू आ पिता छथिन।
वर्तमान मे अपने कथक केन्द्र, नई दिल्ली मे प्रशिक्षक छी। कथक लीजेंड पंडित बिरजु महाराज के कलाश्रम आ प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद स आहाँ लम्बा समय स जुड़ल छी।
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