Wednesday, June 10, 2020

Phuhar, a comedy by Kala Mandali in Delhi, directed by Suman Kumar फुहार प्रीमियर 18 नवंबर 2019 LTG ऑडिटोरियम, दिल्ली

Fuhar, a comedy by Kala Mandali in Delhi, directed by Suman Kumar. In this story written by Hariprakash, a woman in a womanless branch of a bank becomes the subject of grotesque humor. The young enthusiastic bank manager cannot change the dull and tedious environment. When the beautiful Madhuri joins as new staff, the entire staff is delighted by her charm and allure. When she fights with the manager on behalf of a colleague and gets him to apologize, she becomes their leader. A year passes with their affection and attachment, and then suddenly she stops coming. Her landlord delivers her wedding invitation to them, and everyone is shocked upon seeing the groom's name.

The play was staged on November 18, 2019, at the LTG Auditorium in a ceremony "Chaar Rang" organized by the Hindi Academy, Delhi. This was its first performance, involving 15 actors aged from 1 to 54, 5 music ensemble artists, and 7 technical collaborators. The production by Kala Mandali also included transgender artists from Delhi, as usual. It was directed by Suman Kumar.


फुहार, कला मंडली, दिल्ली की नई प्रस्तुति जिसे सुमन कुमार ने निर्देशित किया है। हरिप्रकाश लिखित इस कहानी में एक बैंक की स्त्रीविहीन शाखा में स्त्री, विकृत हास-परिहास का विषय है। नीरस उबाऊ माहौल को युवा उत्साही बैंक मैनेजर भी बदल नहीं पाता। खूबसूरत माधुरी नए स्टाफ के रूप में जॉइन करती है तो पूरा स्टाफ उसके आकर्षण, सम्मोहन में आह्लादित होता है। जब वह अपने सहकर्मी के पक्ष में मैनेजर से लड़ कर उससे माफ़ी मंगवा लेती है तो वह उनकी नेता बन जाती है । उनके स्नेह और लगाव के साथ एक वर्ष बीतते है और फिर अचानक वह आना बंद कर देती है । उसका मकान मालिक उसके शादी का निमंत्रण पत्र उनको पहुंचाता है जिसमें दूल्हे का नाम देखकर सब सकते में आ जाते हैं।
नाटक 18 नवंबर 2019 को LTG सभागार में हिंदी अकादमी, दिल्ली के द्वारा आयोजित समारोह "चार रंग" में पहली प्रस्तुति के रूप में मंचित हुआ। यह इसका पहला मंचन था जिसमें 1 वर्ष से 54 वर्ष तक के 15 अभिनेता, 5 संगीत मंडली कलाकार, 7 तकनीकी सहयोगी शामिल रहे। 
कला मंडली की प्रस्तुति में दिल्ली के ट्रांसजेंडर कलाकार भी हमेशा की तरह थे। इसे सुमन कुमार ने निर्देशित किया है।

Hariprakash Rathi was born on November 5, 1955, in Jodhpur. He holds an M.Com and CAIIB. His published works include short story collections 'Agochar', 'Saanp-Seedi', 'Aadhar', 'Peedhiyaan', 'Pehli Barasat', 'Maati Ke Diye', 'Neti-Neti', 'Kainaat', 'Parmatma Nadaraad Hai', and 'Hariprakash Rathi Ki Kahaniyan Part 1 & Part 2'. His essay collections include 'Samay Satya Aur Samvedna', 'Ab To Sach Kaho', and 'Kiske Roke Ruka Hai Savera'. He has also translated works in Urdu, Punjabi, Sanskrit, Sindhi, and Rajasthani languages, including the English translation of selected stories 'On the Wings of Kurjan'. 

He has been honored with several awards such as the Distinguished Literary Award by the Punjab Arts and Literature Academy in 2010, 'Rajasthan Ratna' by Jamini Academy Haryana, the Culture Award by Rashtra Kinkar New Delhi, the Veer Durgadas Rathore Award, the Kamleshwar Memorial Story Award in 2018, the Saleh Chand Jain Award in 2018 (Greece, Athens), the Guru Jambheshwar Award in 2019 (Moscow), and the 'Hindi Bhasha Bhushan Award' in 2015 by Sahitya Mandal Nathdwara.






















































प्रकाश राठी का जन्म 5 नवंबर 1955 को जोधपुर में हुआ। उन्होंने एम.कॉम और सीएआईआईबी की शिक्षा प्राप्त की है। उनकी प्रकाशित कृतियों में कहानी-संग्रह 'अगोचर', 'साँप-सीढ़ी', 'आधार', 'पीढ़ियां', 'पहली बरसात', 'माटी के दीये', 'नेति-नेति', 'कायनात', 'परमात्मा नदारद है', और 'हरिप्रकाश राठी की कहानियां भाग 1 एवं भाग 2' शामिल हैं। उनके निबंध-संग्रहों में 'समय सत्य और संवेदना', 'अब तो सच कहो', और 'किसके रोके रुका है सवेरा' प्रमुख हैं। उन्होंने उर्दू, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, और राजस्थानी भाषाओं में अनुवाद कार्य भी किया है, जिनमें 'आन द विंग्स ऑफ कुरजां' कतिपय कहानियों का अंग्रेजी अनुवाद शामिल है। उन्हें पंजाब कला साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान 2010, जैमिनी अकादमी हरियाणा द्वारा 'राजस्थान रत्न', राष्ट्रकिंकर नई दिल्ली द्वारा संस्कृति सम्मान, वीर दुर्गादास राठौड़ सम्मान, कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार 2018, सलेखचंद जैन सम्मान 2018 (यूनान, एथेंस), गुरू जम्भेश्वर सम्मान 2019 (मास्को), और साहित्य मंडल नाथद्वारा द्वारा 'हिंदी भाषा भूषण सम्मान' 2015 सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।


Heda : Robin Singh
Manager: Rishi Bawa
Dy. Manager: Shivam Yadav
Akhilesh : Rahul Singh
Nattu : Mukul Rohila 
Trivedi: Gautam Saraswat
Guard : Gulab Kumar
MTS : Mukesh Yadav
Old Customer: Sunny Kumar Pandey
Transgender Customer : Sanya Rajput
Youth : Abhishek Chauhan
Mother : Smita Parasharके
Baby : Lakshya Shankar
Miss Madhuri : Vibhuti Bahal
House Honor : Nitesh 

Music : Umashankar
Vocal : Ashique Kumar 
Octapad : Gagan Singh Bais
Rhythm : Shailendra Singh
Properties : Dalchand Sharma
Assistant : Pravin
Set & Properties: Leeladhar Joshi, Ayaz Khan
Assistant: Naim
Poster And Scenic Design : Bhuneshwar Bhaskar
Make Up : Bhuneshwar Bhaskar, Priyanka Sharma, Afsa Khan
Photography: Rahul Daksh and Triyan Pratibimb
Lights : Atul Mishra
Acting Guide: Sanjay Srivastava
Media & Publicity: Yogesh Kumar Pandey
Choreography : Vibhuti Bahal
Production Assistant: Sweta Pathak

Artistic Director & Producer : Pratibha Singh
Story : Hariprakash Rathi
Design & Direction : Suman Kumar

सुमन कुमार का जन्म 8 दिसंबर 1967 को बांका, बिहार में हुआ। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बी.एड. (1991-92) और मगध विश्वविद्यालय से भौतिकी में ऑनर्स (1988) की पढ़ाई की। 1996 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से और 1998 में माउंटव्यू थिएटर स्कूल, लंदन से डिजाइन में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, सुमन ने 1984 से इप्टा, पटना से जुड़कर रंगकर्म में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने नाटक लिखे, निर्देशित किए और अभिकल्पित किए, और कविताओं व अनाटकीय कथ्य को मंच पर प्रस्तुत करने के लिए विशेष रूप से चर्चित रहे। सुमन के रुपांतरण, अनुवाद और नाट्य लेखन से 30 से भी अधिक मंचित प्रस्तुतियों के हजारों मंचन विभिन्न भाषाओं और शैलियों में हुए। उन्होंने शेक्सपियर, चेखव, भीष्म साहनी, प्रेमचंद, हरिशंकर परसाई, नेरुदा, और अन्य प्रसिद्ध लेखकों की रचनाओं को नाट्य रूप में प्रस्तुत किया।

सुमन ने रंगमंच के भारतीय एवं विदेशी विविध विचारों, अभ्यासों और प्रशिक्षण पद्धतियों पर कई आलेख भी लिखे हैं। उन्होंने बाल, युवा और शौकिया कलाकारों के साथ विभिन्न भाषाओं और बोलियों में प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन और संचालन किया है। 2012 से वे संगीत नाटक अकादेमी, दिल्ली के एक अधिकारी के रूप में रंगमंच, लोक कला और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सेवा कर रहे हैं। सुमन ने डेनमार्क, लंदन, पेरू और क्यूबा में रंगमंच और प्रदर्शन के संदर्भ में यात्रा की है। उनके योगदान के लिए उन्हें आंसु संवाद लेखन पुरस्कार, कलाश्री सम्मान, महिंद्रा एक्सेलेंसी अवार्ड सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं। सुमन द्वारा लिखे गए और मंचित किए गए नाटक जैसे 'नुगरा का तमासा', 'मुक्ति-प्रसंग', 'दिल्ली की दीवार' आदि कई भाषाओं में विविध रूपों में मंचित किए गए हैं। उनका 'नुगरा का तमासा' (2015) एकल अभिनय के लिए विशेष रूप से सराहनीय है। हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा हिन्दी नाटक सम्मान से परस्कृत (2017). 

Suman Kumar was born on December 8, 1967, in Banka, Bihar. He completed his B.Ed. from Patna University (1991-92) and his Honours in Physics from Magadh University (1988). After receiving training in design from the National School of Drama, Delhi in 1996 and Mountview Theatre School, London in 1998, Suman actively engaged in theatre with IPTA, Patna since 1984. He has written, directed, and designed plays and is particularly noted for presenting poems and non-dramatic narratives on stage.

Suman's adaptations, translations, and playwriting have led to thousands of performances of over 30 staged productions in various languages and styles. He has brought works by Shakespeare, Chekhov, Bhisham Sahni, Premchand, Harishankar Parsai, Neruda, and other renowned authors to the stage.

Suman has also written numerous articles on various Indian and foreign theatrical thoughts, practices, and training methodologies. He has organized and conducted training workshops for children, youth, and amateur artists in different languages and dialects. Since 2012, he has served as an officer with the Sangeet Natak Akademi, Delhi, contributing to theatre, folk art, and intangible cultural heritage.

He has traveled to Denmark, London, Peru, and Cuba in the context of theatre and performance. His contributions have earned him several prestigious awards, including the Ansu Samvad Lekhan Puraskar, Kalashri Samman, and the Mahindra Excellence Award. Plays written and staged by Suman, such as 'Nugra ka Tamasa', 'Mukti-Prasang', and 'Dilli ki Deewar', have been performed in various languages and forms. His 'Nugra ka Tamasa' (2015) is especially acclaimed for solo acting. He was awarded the Hindi Natak Samman by the Hindi Academy, Delhi Government in 2017.

No comments:

Post a Comment