Tuesday, August 11, 2020

रंगमंच के 50 साल पीछे चले जाने की घोषणा के बाद

 थिएटर 50 वर्ष पीछे जाने पर

मुबारक हो अधेड़ रंगकर्मी जनों को

जो आज के दिग्गज हैं

आज के दिग्गजों का स्वर्णकाल

भी लौट आया है?

अब हाशिये पर आ गए हैं कलाकर्म

विशेषकर रंगमंच

पचास साल पीछे चला गया तो

उनपर जवानी लौट आयी है

कलाएं अनछुई जवान व 

कमसिन हो गई हैं

इठला रही है

वे नज़दीक हैं

न हैं दूरदर्शन

...


हम जैसे तो अभी 

वक़्त के पीछे लौटने पर

दुअन्नी की मीठी गोली पे इतरा जाने वाले

घुटरुन चलत राम हो गए है

वक़्त ने रंगमंच को 

50 साल पीछे धकेल दिया है


ये जुमला 

उछाल दिया गया और 

क्या बच्चे, बूढ़े जवान 

सारे हाथ में 

आधुनिकतम तकनीक लिए

अपनी संघर्ष चेतना को तहख़ाने में डाले

दूसरों से जंग में कूद पड़ने की उम्मीद लगाए गला फाड़ रहे हैं 


रंगमंच 50 साल पीछे का

अपनी क्षमता के दम पर 

राष्ट्र के स्याह आबादी के कल्याण

और उनके अधिकारों के  लिए 

समर्पित स्वच्छंद युवाओं का 

जोशीला रंगमंच था

जो बदलना चाहते थे वक़्त की तस्वीर

वे बुलंद थे

जो लिजलिजी व्यवस्था को 

आइना दिखा रहे थे

सूरज की रोशनी को आईने में समेट

प्रक्षेपित कर रहे थे 

स्याह आबादी पर

दम लगाकर खींच रहे थे 

ज़ोर लगा के हैसा

....

उन्होंने भयानक चुनोतियों के बरक्स

रंगमंच को मुक्त किया था

चहारदीवारी से

...

अब चहारदीवारी के चाहत में

आस लगाए 

समारोहों की बिसात बिछाए

चाहते हैं

सुई की नोक बराबर सांझ को नकार देना


रंगमंच

किसी के जुमले से पीछे नहीं जाएगा

वो मृत नही है

बस युवाओं को 

घुटरून होने से बचा लें

वे ही लौटाएंगे प्रतिष्ठा 

अपने लिए

ज़रूरी संघर्ष के लिए

वरिष्ठों के लिए 

खूब सारा अवसर 

सपने

...

आह!

रंगमंच 

पचास साल पीछे वाला होता

उत्साह, ऊर्जा 

उम्मीद से भरपूर 

रचनात्मकता के जनून से लबालब

हौसले वाला

.....



No comments:

Post a Comment